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समष्टि अर्थशास्त्र का अर्थ ,जनक, परिभाषा, व‍िशेषताए, सीमाऍं , महत्‍व

samashti arthshastra ki seemaen

samashti ka arth

amasti arthashastra in hindi







समष्टि अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं इसकी विशेषताओं और सीमाओं की व्याख्या करें?

समष्टि अर्थशास्त्र का अर्थ क्या है? samashti ka arth

प्रोफ़ेसर बोल्डिंग के अनुसार समष्टि  अर्थशास्त्र को व्यापक अर्थशास्त्र भी कहते हैं। समष्टि अर्थशास्त्र में के व्यक्तिगत मात्राओं को अध्ययन नहीं किया जाता बल्कि इस तरह के मात्राओं का योग का अध्ययन किया जाता है। इसका संबंध व्यक्तिगत आय से नहीं बल्कि राष्ट्रीय से होता है व्यक्तिगत कीमत से नहीं बल्कि सामान्य कीमत के स्तर को अध्ययन करता है। व्यक्तिगत उत्पादन से नहीं बल्कि राष्ट्रीय उत्पादन का अध्ययन करता है। समष्टि अर्थशास्त्र में केवल व्यक्त का अध्ययन नहीं किया जाता बल्कि उसके पूरे जीवन का अध्ययन किया जाता है।



समष्टि अर्थशास्त्र के जनक कौन है/ samashti arthshastra ke janak kaun hai ?

माइक्रो शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ऑस्‍लो विश्वविद्यालय में हुआ था इस शब्द को प्रोफेसर रेगनार फिशर ने वर्ष 1933 में किया था।। Macro शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के Makros शब्द से निकला है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है बृहद। जिस को सरल भाषा में समस्त, कुल, समूचा, समष्टि आदि कहते हैं समष्टि अर्थशास्त्र किसी एक भाग का अध्ययन न करके बल्कि पूरे संगठन के औसत के बारे में अथवा संपूर्ण अर्थव्यवस्था के समूह के बारे में अध्ययन करता है  व्यापक के अंतर्गत संपूर्ण आय, संपूर्ण उत्पादन संपूर्ण बचत एवं संपूर्ण रोजगार का अध्ययन करता है इसलिए इसे व्यापक या कुल अर्थशास्त्र कहते हैं

समष्टि की परिभाषा / samashti ki paribhasha

प्रोफ़ेसर बोल्डिंग के अनुसार - व्यापक अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र उस भाग को अध्ययन करता है जिसमें अर्थव्यवस्था के बड़े समूह का अध्ययन करता है जिसमें सरल एवं उपयोगी भाषा में इस समूह को परिभाषित करने में प्रयास करता है।

प्रोफ़ेसर जे एल हेंसन के अनुसार 
यह अर्थशास्त्र की वह शाखा है जिसमें बृहद योगा जैसे कि रोजगार कुलाए कुल बचत राष्ट्रीय आय आदि के बारे में पारस्परिक संबंधों को व्यापक रूप में विचार करती है।

समष्टि अर्थशास्त्र का दूसरा नाम क्या है?

1. व्‍यापक अर्थशास्‍त्र 

2. वृहत अर्थशास्‍त्र 

3. सामूहिक अर्थशास्‍त्र

समष्टि अर्थशास्त्र की विशेषताएं  / samashti ki visheshta

समष्टि अर्थशास्त्र की दो विशेषताएं लिखिए / samashti arthshastra ki do visheshtaye likhiye 

समष्टि अर्थशास्त्र की कोई चार विशेषताएं लिखिए /samashti arthshastra ki koi char visheshtaye likhiye

1. व्यापक दृष्टिकोण 

समष्टि अर्थशास्त्र का दृष्टिकोण बहुत बड़ा है इसमें किसी छोटे भाग को महत्त्व नहीं दिया जाता है बल्कि यह राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं को हल ढूंढने में मदद करता है बल्कि यह गतिशील व्यवस्था को ज्यादा महत्व देता है।

 2. सामूहिक हितों का ध्यान

 समष्टि अर्थशास्त्र किसी एक व्यक्ति के अपेक्षा समूह पर ज्यादा महत्व देता है और विकासशील देशों में आर्थिक नियोजन के स्तर को विकास बनाने में सहायता करता है नियोजन के अंतर्गत संपूर्ण अर्थव्यवस्था पर ध्यान रखता है।

3. निर्भरता

समष्टि अर्थशास्त्र में किसी एक भाग को परिवर्तन होने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता जबकि सूक्ष्म अर्थशास्त्र में इसका बहुत बड़ा महत्व पड़ता है। समष्टि अर्थशास्त्र में एक भाग को परिवर्तन होने पर समस्त सामान्य स्तर में भी परिवर्तन हो जाते हैं।

4. वृहद विश्लेषण


समष्टि अर्थशास्त्र सरकार की मौद्रिक एवं राजस्व नीतियों के प्रभाव का भी अध्ययन करता है और इसमें व व्यापक रूप से विश्लेषण करने में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

समष्टि अर्थशास्त्र क्या है इसके महत्व एवं सीमाओं की विवेचना कीजिए

समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएं बताइए


1. संरचना की भ्रांति

समष्टि अर्थशास्त्र में विश्लेषण करने की जो संरचना है भ्रांति रहती है अर्थात आर्थिक व्यवहार व्यक्तिगत या कुल योग होता है परंतु यह अनिवार्य नहीं कि वह व्यक्ति के लिए यह बात सत्य हो या व समस्त अर्थशास्त्र के लिए भी सही हो।

2. व्यक्तिगत अंतरों की अवहेलना

व्यापक अर्थशास्त्र व्यक्तिगत अंतरों की अवहेलना करता है क्योंकि सामान कीमत स्थिर रहने पर वे खाद्यान्नों की कीमतों में वृद्धि हो सकती है और ऐसे लोग जो निर्धन हैं वह कठिनाई का सामना कर सकती है व्यापक अर्थशास्त्र के अंतर्गत समग्र का विवेचन करते हैं इनके घटकों की बनावटी प्राकृत में कोई ध्यान नहीं देती।

3. समूह में परस्पर संबंध की अवहेलना


प्रोफ़ेसर बोर्डिंग के अनुसार ऐसे समूह को बनाना जिसका कोई तत्व नहीं है यदि इस प्रकार के समूह के आधार पर अध्ययन किया जाए जिनका कोई अर्थ नहीं है तो निष्कर्ष या निकलेगा कि वह अशुद्ध एवं भ्रमित करने वाला अध्ययन है।

4. समग्र में सम्मिलित अधिकारियों को भाग देने में कठिनाइयां

समग्र में सम्मिलित विभिन्न प्रकार के इकाइयों का व्यवहारिक रुप से महत्व मान नहीं होता है उनमें किसी का महत्व कम या किसी का अधिक हो सकता है यदि हम सभी को समान महत्व तो निष्कर्ष गलत निकलेगा।

5. समग्र को मापने में कठिनाइयां


योगो या समूह को मापने में समस्या होती है वस्तुओं की एक ही संख्या या एक ही मात्रा में कैसे स्पष्ट किया जाए यदि यह ज्ञात करना चाहिए कि किस वर्ष में किसी अर्थव्यवस्था में कितना उत्पादन हुआ तब हम वस्तुओं व सेवाओं को भौतिक माप नहीं कर सकते इस कारण से ऐसे समस्याओं का मापदंड का सहारा लेना पड़ता।